बुद्धिमान कबूतर और लालची लोमड़ी | बच्चों के लिए नैतिक कहानी | Moral Story for Kids
बहुत समय पहले की बात है, एक शांत नदी के किनारे बहुत सारे पक्षी रहते थे। उनमें से एक छोटा सा कबूतर भी था, जो सबका प्रिय था। वह दयालु, ईमानदार और समझदार था।
नदी के पास ही एक लोमड़ी रहती थी। वह बहुत चालाक और लालची थी। अक्सर वह किसी न किसी छोटे जानवर को धोखे से पकड़कर खा जाती थी। उसके कारण जंगल के छोटे जानवर हमेशा डर में रहते थे।
एक गर्मी के दिन सभी पक्षी पानी पीने नदी के किनारे आए। तभी अचानक लोमड़ी झाड़ियों के पीछे से बाहर आई और बोली –
"आज तो मेरा खाना अपने आप मेरे पास आ गया!"
पक्षी डर गए और इधर-उधर उड़ने लगे। लेकिन छोटा कबूतर वहीं खड़ा रहा। लोमड़ी ने हँसकर कहा –
"क्या तुम उड़ नहीं सकते? या डर से जम गए हो?"
कबूतर शांत स्वर में बोला –
"मैं डर नहीं रहा, बस सोच रहा हूँ कि इतनी समझदार लोमड़ी क्या सच में भूखी है?"
लोमड़ी को अजीब लगा और बोली –
"हाँ! मैं बहुत भूखी हूँ और तुम मेरे स्वादिष्ट खाने बनोगे!"
कबूतर ने तुरंत एक योजना बनाई और बोला –
"अगर आप सच में मुझे खाना चाहती हैं, तो पहले मेरे साथ नदी तक चलिए। नदी के पास मेरा एक दोस्त रहता है। वह भी मुझे खाना चाहता था, पर मैंने उसे रोक दिया था। यदि आप उससे ज्यादा तेज और ताकतवर होंगी, तो मैं आपकी शिकार बन जाऊँगा।"
लोमड़ी, जिसे अपनी चालाकी और शक्ति पर बहुत घमंड था, तुरंत तैयार हो गई।
"चलो! मुझे दिखाओ तुम्हारा वह दोस्त कौन है!"
कबूतर लोमड़ी को नदी के बिलकुल किनारे ले आया और बोला –
"वह रहा! नीचे पानी में।"
लोमड़ी ने नीचे झाँका और उसे पानी में अपना ही प्रतिबिंब नजर आया। उसे लगा सच में कोई दूसरी लोमड़ी नदी में उसे देख रही है।
लोमड़ी गुस्से में चिल्लाई –
"मुझसे ताकतवर? मैं तुझे अभी दिखाती हूँ!"
और बिना सोचे-समझे वह छलांग लगाकर नदी में कूद पड़ी। पर नदी गहरी थी और धारा भी तेज। लोमड़ी बहने लगी और किसी तरह किनारे पहुँचकर थक कर गिर गई।
कबूतर ने कहा –
"देखा लोमड़ी बहन, लालच हमेशा मुसीबत में डालता है। बुद्धि से सोचा जाए तो हर खतरे से बचा जा सकता है।"
लोमड़ी शर्म से सिर झुका कर चली गई। उस दिन के बाद उसने कभी किसी छोटे जानवर को नुकसान नहीं पहुँचाया।
नदी के किनारे फिर से शांति और खुशी लौट आई।
सीख:
लालच हमेशा नुकसान पहुँचाता है।
समझदारी और शांत दिमाग से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।
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