नकली शेर की कहानी ( Akbar-Birbal Ki Kahaniyan )
नकली शेर फारस का राजा और बादशाह अकबर बहुत अच्छे दोस्त थे| वे दोनों एक दूसरे को पहेलियाँ वा चुटकले भेजा करते थे| उन्हें एक दूसरे से उपहार प्राप्त करने में आनंद प्राप्त होता था, जिससे उन्हें अपनी दोस्ती बनाये रखने में मदद मिलती थी| एक दिन बादशाह अकबर को फारस के राजा से एक बड़ा सा पिंजरा और उसमे नकली शेर तथा एक पत्र प्राप्त हुआ| पत्र में लिखा था, “ क्या आपके राज्य का कोई बुद्धिमान व्यक्ति बिना पिंजरा खोले शेर शेर को बाहर निकाल सकता है| यदि पिंजरा खाली नहीं हुआ तो मुग़ल साम्राज्य, फारस साम्राज्य की संप्रभुता के अधीन आ जाएगा|” अकबर ने उत्सुकता भरी नज़रो से एक के बाद एक सारे दरबारियों की और देखा और कहा, मैं जानता हूँ की आप सभी अपने क्षेत्र में बुद्धिमान और विशेषज्ञ हैं| क्या कोई बिना पिंजरा खोले शेर को बाहर ला सकता है?” उसने फिर अपने दरबारियों की और उम्मीद भरी नज़रो से देखा| परतेक दरबारी अपने अपने आसन पर जमा हुआ बैठा था | सारे के सारे हैरान और परेशान थे, क्योकि यह उनकी समझ से परे था | वे एक दूसरे को देख रहे थे | ...