**शीर्षक: सच्चाई की जीत – एक नई नैतिक कहानी बच्चों के लिए**
एक बार की बात है, हरी-भरी पहाड़ियों और रंग-बिरंगे फूलों से घिरे "सूर्यपुर" नाम के एक छोटे से गाँव में आरव नाम का एक होशियार लेकिन शरारती बच्चा रहता था। आरव पढ़ाई में अच्छा था, दिमाग भी तेज़ था, लेकिन उसकी एक आदत सभी को परेशान करती थी—वह कभी-कभी झूठ बोल देता था, सिर्फ अपनी सुविधा के लिए। उसकी माँ हमेशा उसे समझाती, “बेटा, झूठ के पैर नहीं होते, एक दिन गिर ही जाता है,” पर आरव इसे मज़ाक समझकर टाल देता। गाँव में एक बड़ा पेड़ था जिसे सब “बुद्धि-वृक्ष” कहते थे। बच्चों का विश्वास था कि अगर कोई बच्चा सच्चाई के साथ उस पेड़ के पास जाए, तो पेड़ उसे आशीर्वाद देता है। पर अगर कोई झूठ बोले, तो पेड़ से पत्ते गिरकर उसे चेतावनी देते हैं। बच्चों को यह कहानी बहुत पसंद थी, इसलिए आरव ने भी सोचा कि क्यों न जाकर देखूं कि ये पेड़ सच में कुछ करता भी है या नहीं। एक दिन स्कूल में ड्राइंग प्रतियोगिता रखी गई। सब बच्चे मेहनत कर रहे थे। आरव को भी भाग लेना था, लेकिन उसने तैयारी नहीं की। प्रतियोगिता वाले दिन उसने अपने दोस्त यश की ड्राइंग चुपके से फाड़ दी और बोला, “मुझे तो किसी ने नहीं बताया कि ये आज है। मैं क्य...