सिंड्रेला की कहानी हिंदी में – बच्चों के लिए प्रेरणादायक परियों की कहानी
Story of the day सिंड्रेला की कहानी हिंदी में
सिंड्रेला दुनिया की सबसे मशहूर और प्रिय परियों की कहानियों में से एक है। यह कहानी सिर्फ बच्चों के लिए मनोरंजन नहीं बल्कि एक प्रेरणादायक संदेश भी देती है। यह हमें सिखाती है कि धैर्य, दया और उम्मीद से इंसान की जीत हमेशा होती है।
सिंड्रेला का बचपन
बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में एक सुंदर और दयालु लड़की रहती थी, जिसका नाम सिंड्रेला था। जब वह छोटी थी, तभी उसकी माँ का निधन हो गया। कुछ वर्षों बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली माँ और उसकी दो बेटियाँ बहुत घमंडी और स्वार्थी थीं। वे सिंड्रेला से नफरत करती थीं और उसे घर का सारा काम करवाती थीं।
सिंड्रेला को सुबह से शाम तक फर्श साफ करना, खाना बनाना, कपड़े धोना और चूल्हे की राख साफ करना पड़ता। उसके कपड़े हमेशा मैले रहते और लोग उसे सिंड्रेला (राख में रहने वाली लड़की) कहने लगे।
महल में नृत्य समारोह
एक दिन पूरे राज्य में खबर फैली कि राजा अपने बेटे के लिए विशाल नृत्य समारोह आयोजित कर रहे हैं। राज्य की हर युवती को आमंत्रित किया गया। राजकुमार उसी समारोह में अपनी भावी दुल्हन चुनने वाले थे।
सिंड्रेला की सौतेली बहनें बहुत उत्साहित थीं। उन्होंने सुंदर कपड़े और गहने तैयार कर लिए। सिंड्रेला भी समारोह में जाना चाहती थी, लेकिन उसकी सौतेली माँ ने उसे मना कर दिया और ज्यादा काम सौंप दिया ताकि वह तैयार न हो पाए।
परी गॉडमदर का जादू
सिंड्रेला दुखी होकर आंगन में बैठी रो रही थी। तभी परी गॉडमदर आई और कहा, “बेटी, मत रोओ। तुम भी इस समारोह में जाओगी।”
परी ने जादुई छड़ी से कद्दू को रथ में, चूहों को घोड़े में और सिंड्रेला के पुराने कपड़ों को शानदार गाउन और कांच की जूतियों में बदल दिया।
लेकिन परी ने चेतावनी दी—“यह जादू सिर्फ आधी रात तक चलेगा। उसके बाद सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा।”
महल का समारोह
सिंड्रेला महल पहुँची और उसकी सुंदरता सबको मंत्रमुग्ध कर गई। राजकुमार ने भी उसी के साथ नृत्य किया। लेकिन घड़ी के बारह बजते ही सिंड्रेला भागी और उसकी एक कांच की जूती गिर गई।
राजकुमार की तलाश
अगली सुबह राजकुमार ने आदेश दिया कि उस लड़की को ढूंढा जाए जिसकी जूती महल की सीढ़ियों पर गिरी थी। सैनिक पूरे राज्य में घूमे और हर युवती से जूती पहनवाई।
सौतेली बहनों ने कोशिश की पर जूती फिट नहीं हुई। फिर सिंड्रेला ने जूती पहनकर दिखाया और यह बिल्कुल फिट हो गई।
सिंड्रेला की खुशी
राजकुमार ने सिंड्रेला से विवाह का प्रस्ताव रखा और उसने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया। जल्द ही दोनों का विवाह हुआ और वे खुशी-खुशी जीवन बिताने लगे।
कहानी की सीख
सिंड्रेला की कहानी हमें सिखाती है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, दया, धैर्य और उम्मीद से इंसान की ज़िंदगी बदल सकती है। कभी भी खुद पर विश्वास नहीं खोना चाहिए।
निष्कर्ष
सिंड्रेला की कहानी आज भी बच्चों और बड़ों दोनों में लोकप्रिय है। यह कहानी सिर्फ सपनों की दास्तान नहीं बल्कि संदेश देती है कि अगर दिल सच्चा हो और इरादे नेक हों, तो जिंदगी खुशियों से भर जाती है।
Har kahani me chhupi hoti hai ek seekh jo bachchon ko insaaniyat aur sapno ki udaan sikhaati hai.
Comments