अदृश्य द्वीप का रहस्य ( Mystery of the invisible island adventure story |
मुख्य पात्र:
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किया – 13 साल की होशियार और जिज्ञासु लड़की
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वीर – उसका 14 साल का भाई, थोड़ा डरपोक लेकिन वफादार
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टॉबी – उनका पालतू तोता, जो कभी-कभी रहस्यमयी बातें करता है
भाग 1: रहस्यमयी नक़्शा
एक दिन बारिश के बाद किया और वीर को अपनी दादी के पुराने संदूक में एक पुराना, सूखा हुआ नक़्शा मिला। नक़्शे पर एक "द्वीप" बना था… लेकिन जब उन्होंने गूगल मैप्स पर देखा — वहां कुछ भी नहीं था!
"शायद ये कोई अदृश्य द्वीप है!" किया बोली।
"या कोई मज़ाक!" वीर ने डरते हुए कहा।
लेकिन टॉबी बोला, "रहस्य वहीं है जहाँ आंखें नहीं देख पातीं।"
भाग 2: सफर की शुरुआत
अगली सुबह वे एक छोटी नाव से समुंदर की ओर निकल पड़े, नक़्शे को पकड़कर। मौसम साफ था, लेकिन कुछ ही घंटे बाद आकाश में बादल घिर आए। अचानक समुंदर का पानी चमकने लगा, और नाव खुद ही एक अजीब सी धारा में बहने लगी…
भाग 3: रहस्य से घिरा द्वीप
अचानक नाव रुक गई — मानो किसी अदृश्य दीवार से टकरा गई हो।
"हम तो बीच समुंदर में हैं, फिर ये क्या?" वीर बोला।
किया ने नक़्शा देखा — और आश्चर्य हुआ! नक़्शे की एक नई रेखा चमक रही थी।
"शायद हमें इस रेखा का पीछा करना होगा।"
जैसे ही उन्होंने दिशा बदली, पानी में नीला-सा प्रकाश चमकने लगा। कुछ ही मिनटों में एक बड़ा-सा द्वीप सामने आ गया — लेकिन ये कोई साधारण द्वीप नहीं था। ये हवा में तैरता हुआ द्वीप था!
टॉबी ज़ोर से चिल्लाया: "तुमने द्वार पार कर लिया है!"
भाग 4: पहेली और पत्थर के रक्षक
द्वीप पर पहुँचते ही बच्चों के सामने एक बड़ा-सा पत्थर का दरवाज़ा आया। उस पर कुछ शब्द खुदे थे:
"जो अपने भय को पार करे, वही खजाने तक पहुँचे।"
किया ने दरवाज़े को छुआ — और चारों तरफ पत्थर के रक्षक ज़िंदा हो गए!
वे विशाल थे, लेकिन उनकी आँखों में दर्द और प्रश्न थे।
वीर डर गया, लेकिन किया ने कहा, "हमें भागना नहीं, सामना करना होगा।"
उन्होंने उन रक्षकों से बात की, और पता चला कि वे असली इंसान थे, जो सैकड़ों साल पहले द्वीप के जादू में फँस गए थे। उनकी मुक्ति केवल तब होगी, जब कोई सच्चे दिल वाला द्वीप का रहस्य हल करेगा।
भाग 5: प्राचीन मंदिर और अंतिम परीक्षा
किया, वीर और टॉबी ने रक्षकों की सहायता से द्वीप के घने जंगल पार किए। बहुत दूर, पेड़ों के पीछे उन्हें एक पुराना प्राचीन मंदिर दिखाई दिया — समय के साथ टूटा-फूटा, लेकिन अब भी रहस्यमय और भव्य।
मंदिर के द्वार पर एक और शिलालेख था:
"खजाना उनका है जो बिना लोभ के इसे खोजे।"
वे मंदिर के अंदर गए। बीचों-बीच एक नीला क्रिस्टल रखा था — वही खजाना जिसे लेकर सैकड़ों लोग गायब हो चुके थे।
जैसे ही वीर ने उसे छूना चाहा, क्रिस्टल से एक तेज़ आवाज़ आई:
"क्या तुम इस खजाने को दुनिया के लिए लोगे या सिर्फ अपने लिए?"
किया ने बिना डरे जवाब दिया:
"अगर इससे हम दूसरों की मदद कर सकें, तभी ये खजाना हमारा है।"
तुरंत मंदिर चमकने लगा, और चारों ओर रोशनी फैल गई।
पत्थर के रक्षक इंसानों में बदल गए। द्वीप की अदृश्यता टूट गई। और समुंदर की लहरें शांत हो गईं।
अंतिम भाग: वापसी और विरासत
किया, वीर और टॉबी वापस गाँव लौटे — उनके साथ सिर्फ एक छोटा सा नीला मोती था, लेकिन वो मोती दुनिया को रोशनी दे सकता था।
उनकी दादी मुस्कराईं:
"अब तुम सिर्फ खोजी नहीं, बल्कि संरक्षक भी बन चुके हो।"
और उस दिन से, किया और वीर की कहानी समुंदर के बच्चों को सुनाई जाने लगी — एक कहानी साहस, बुद्धिमानी और निस्वार्थता की।
अदृश्य द्वीप अब दिखता था — लेकिन उसका सच्चा खजाना वही खोज पाता था, जो अपने दिल में सच्चाई रखता था।
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