बेईमान न्यायाधीश
बेईमान न्यायाधीश अकबर का राज्य बहुत ही बड़ा था | इसीलिए उसने शहर में लोगों की विभिन्न समस्याओं का समाधान करने के लिए अनेक न्यायाधीशों की | एक दिन एक औरत सोने के सिक्के के थैले के साथ एक न्यायाधीश के पास जाकर बोली __”श्रीमान! यह मेरे जीवन की जमा पूंजी है | मै तीर्थ यात्रा पर जा रही हूँ और अपने साथ इतना पैसा नहीं ले जा सकती | कृपया जब तक मै वापस नहीं आती तब तक यह थैला अपने पास सुरक्षित रख ले | न्यायाधीश ने थैला अपने पास रख लिया | महिला उसने विदा लेकर तीर्थयात्रा पर चली गई | इक महीने बाद महिला वापस लौटी , तब वह सीधा न्यायाधीश के पास गई और उसने थैला वापस ले लिया | किन्तु जब वापस घर आकर उसने थैले की सील थोड़ी , तो उसने देखा की थैला पत्थरो से भरा हुआ था | उसका सोना गायब था | वह न्यायाधीश के पास गयी और उससे बहस करने लगी | न्यायाधीश ने कहा , दुष्ट औरत! तुमने खुद थैले में पत्थर भरे थे और अब मुझे भुगतान करने को कह रही हो |” औरत के पास कोई और रास्ता नहीं था | वह न्याय के लिए बादशाह के अदालत में गई | अकबर ने जब क...