जादुई पंख और बहादुर नन्ही चिड़िया
बहुत समय पहले, एक शांत से जंगल के किनारे एक नन्ही चिड़िया रहती थी, जिसका नाम था चिक्की। वह जंगल की सबसे छोटी चिड़िया थी, लेकिन उसके सपने सबसे बड़े थे। जहाँ बाकी चिड़ियाँ बहुत ऊँचा उड़ लेती थीं, वहीं चिक्की मुश्किल से आम के पेड़ तक पहुँच पाती थी। फिर भी वह हमेशा मानती थी कि एक दिन वह कुछ ऐसा करेगी जो किसी ने भी पहले नहीं किया होगा।
हर सुबह चिक्की अपने पंख ज़ोर-ज़ोर से फड़फड़ाती। लेकिन चाहे जितनी कोशिश कर ले, वह न तो तोते जितना ऊँचा उड़ पाती और न ही बाज़ जितना तेज़। बड़ी कौवा कल्लू अक्सर उसका मज़ाक उड़ाता—
“अरे चिक्की, तुमसे नहीं होगा!”
लेकिन चिक्की कभी हार नहीं मानती थी। “एक दिन मैं सबको दिखा दूँगी,” वह धीरे से हवा से कहती।
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रहस्यमयी सुनहरी रोशनी
एक शाम, जब सूरज पहाड़ों के पीछे ढल रहा था, चिक्की ने जंगल के अंदर एक अजीब सी सुनहरी रोशनी देखी। कोई भी चिड़िया वहाँ जाने की हिम्मत नहीं करती थी, क्योंकि कहा जाता था कि सूरज ढलते ही जंगल जादुई हो जाता है। लेकिन चिक्की की जिज्ञासा उसके डर से ज्यादा थी।
वह धीरे-धीरे उस रोशनी की तरफ बढ़ी। जितनी आगे बढ़ती, रोशनी उतनी ही तेज़ होती जाती। अचानक उसने देखा—नरम घास पर कुछ चमक रहा था।
वह थी एक सुंदर सुनहरी पंख।
वह सुबह के सूरज की तरह चमक रहा था। चिक्की ने धीरे से उसे छुआ। तभी वह पंख अपने-आप हवा में उठ गया!
और फिर एक मधुर आवाज़ गूँजी—
“नन्ही चिड़िया… जंगल ने तुम्हें चुना है।”
चिक्की घबरा गई, “म-मुझे? पर मैं तो बहुत छोटी हूँ…”
आवाज़ फिर बोली—
“क्योंकि साहस आकार से बड़ा होता है। और तुम्हारे दिल में सबसे सच्ची हिम्मत है।”
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जादुई ताकत
जैसे ही चिक्की ने वह पंख पकड़ा, एक गर्म सी रोशनी उसके पंखों को घेरने लगी। उसे अचानक हल्का, मजबूत और बेहद बहादुर महसूस हुआ। उसने पंख फड़फड़ाए—और झट से बादलों के ऊपर जा पहुँची!
वह ऊँचे पेड़ों को पार कर रही थी, बादलों से ऊपर उड़ रही थी, और बेचारा उल्लू कक्कू तो डर से अपनी टहनी से नीचे गिरते-गिरते बचा।
“ये कैसे हुआ?” चिक्की हैरान थी।
सुनहरे पंख की जादुई ताकत ने उसे असाधारण शक्ति दे दी थी।
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जंगल में संकट
अगली सुबह जब चिक्की वापस आई, उसने देखा कि खरगोशों के गाँव के पास एक भयंकर आग लगी है। धुआँ चारों तरफ फैल रहा था और छोटे-छोटे जानवर मदद के लिए पुकार रहे थे।
चिक्की नीचे उतरी।
खरगोश चिल्लाए—
“चिक्की! हम फँस गए हैं! जंगल जल रहा है! हमें बचाओ!”
बाकी बड़े पक्षी दूर से देख रहे थे, लेकिन कोई भी आग के पास जाने की हिम्मत नहीं कर रहा था।
चिक्की को वह जादुई आवाज़ याद आई—
“साहस आकार से बड़ा होता है।”
उसने गहरी साँस ली। “मैं नहीं भागूँगी। मैं इन्हें बचाऊँगी।”
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बहादुरी का मिशन
चिक्की उड़कर आसमान की ऊँचाई तक पहुँची और अपने पंख तेज़ी से फड़फड़ाने लगी। सुनहरा पंख चमकने लगा, और उसके चारों ओर तेज़ हवा का बवंडर बनने लगा।
वह आग के ऊपर चक्कर लगाने लगी। तेज़ हवा की वजह से आग की लपटें पीछे हटने लगीं। धीरे-धीरे आग बुझने लगी।
कुछ ही मिनटों में आग पूरी तरह शांत हो गई।
पूरा जंगल चुप गया।
और फिर सब जानवर एक साथ चिल्लाए—
“चिक्की ने हमें बचाया!”
“चिक्की हमारी हीरो है!”
“चिक्की सबसे बहादुर चिड़िया है!”
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पंख का आखिरी संदेश
उसी समय जादुई पंख हवा में उठा, चमका, और चिक्की के पंखों को हल्के से छुआ।
एक नरम आवाज़ आई—
“तुमने अपनी बहादुरी साबित कर दी है। अब तुम्हें जादू की जरूरत नहीं। जादू अब तुम्हारे अंदर है।”
पंख धीरे-धीरे चमकते हुए हवा में घुल गया।
चिक्की को थोड़ी उदासी हुई, लेकिन गर्व भी।
अब चिक्की पहले से कहीं ज़्यादा ऊँचा और तेज उड़ सकती थी—बिना किसी जादुई पंख के। वह जंगल की रक्षक बन गई।
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कहानी का सार
सच्ची हिम्मत दिल से आती है। चाहे कोई कितना भी छोटा क्यों न हो, अगर उसका दिल बहादुर है, तो वह सबसे बड़ा चमत्कार कर सकता है।
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