राजा बंदर और रहस्यमयी जंगल
बहुत समय पहले की बात है। घने जंगल “शेरवाना” में सभी जानवर मिलजुल कर रहते थे। इस जंगल के राजा थे—बंदरराज बोलू। बोलू सिर्फ मज़ाकिया नहीं, बल्कि समझदार और बहादुर भी थे। उनकी लंबी पूंछ और बड़ी आँखों से कोई भी खतरा छुप नहीं सकता था।
एक दिन जंगल में अफ़वाह फैल गई कि गहरी घाटी के पार एक रहस्यमयी जंगल है, जहाँ जादूई फल उगते हैं और एक सोने का पत्थर छिपा है। पर वहाँ जाने की हिम्मत किसी जानवर की नहीं होती थी, क्योंकि रास्ते में भूलभुलैया गुफा, बर्फीली नदी, और शिकारी गिद्धों का झुंड था।
लेकिन बोलू को चुनौती पसंद थी। उन्होंने तय किया कि वो अपनी टीम के साथ उस जंगल की खोज पर निकलेंगे। उनके साथ गए:
🐘 गप्पू हाथी, ताकतवर लेकिन डरपोक
🦉 उल्लू मामा, बुद्धिमान और नक्शों के मास्टर
🦝 चींटी रानी, जो छोटी थी मगर दिमाग बड़ी थी
🚀 सफ़र की शुरुआत
सफर की शुरुआत में ही उन्हें भूलभुलैया गुफा मिली जहाँ दीवारें घूमती थीं और रास्ते बदल जाते थे। उल्लू मामा ने अपनी चतुराई से नक्शा पढ़कर रास्ता ढूंढा।
अगला पड़ाव था बर्फीली नदी। गप्पू हाथी ने अपना बड़ा शरीर आगे बढ़ाया और बाकी जानवर उसकी पीठ पर चढ़कर पार हुए। चींटी रानी ने सबके लिए पत्तियों से गर्म कोट बनाए ताकि कोई ठंड में बीमार न पड़े।
अंत में, जब वे गिद्धों के झुंड तक पहुंचे, बोलू ने योजना बनाई। उन्होंने केले और आम फेंके जिससे गिद्धों का ध्यान भटका और सब सुरक्षित निकल गए।
🌳 रहस्यमयी जंगल का रहस्य
अंततः वे उस रहस्यमयी जंगल पहुँचे। वहाँ पेड़ों पर चमकते हुए फल थे जिनमें हर स्वाद था—चॉकलेट, आम, स्ट्रॉबेरी और भी बहुत कुछ! बीच में एक पत्थर था जो सोने जैसा चमक रहा था। चींटी रानी ने बताया कि यह पत्थर “साहस का पुरस्कार” है—जो सिर्फ उन्हें मिलता है जो अपने दोस्तों को साथ लेकर कामयाबी तक पहुँचते हैं।
राजा बंदर ने पत्थर उठाया और सबको धन्यवाद कहा। जंगल की पूरी दुनिया ने उनकी कहानी से प्रेरणा ली।
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